Sufinama

गीत

सूफ़ी संतों ने बहुत से गीत और ठुमरियां लिखी हैं जिन्हें क़व्वाल सूफ़ी ख़ानक़ाहों पर कसरत से पढ़ते है।

रामपूर का एक क़ादिर-उल-कलाम शाइ’र

1253 -1325

ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के चहेते मुरीद और फ़ारसी-ओ-उर्दू के पसंदीदा सूफ़ी शाइ’र, माहिर-ए-मौसीक़ी, उन्हें तूती-ए-हिंद भी कहा जाता है

1914 -1981

इंक़लाब और हुस्न-ओ-इश्क़ के शायर,नाटककार,गीतकार, मुशाएरा के बड़े शायर ,अपनी नज़्म “झूम कर उठो वतन आज़ाद करने के लिए” की वजह से मशहूर

1832 -1906

हैदराबाद के मश्हूर अबुल-उ’लाई सूफ़ी

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और ख़ादिम-ए-ख़ास

1900 -1974

लखनऊ का मा’रूफ़ ना’त-गो शाइ’र

1856 -1927

हिन्दुस्तान के मा’रूफ़ ख़ैराबादी शाइ’र और जाँ-निसार अख़तर के पिता

1859 -1954

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और मस्त-हाल बुज़ुर्ग

1916 -1970

मा’रूफ़ फ़िल्म गीत-कार और बेहतरीन शाइ’र

1745 -1806

ख़ानक़ाह-ए-काज़िमिया, काकोरी के बानी और रुहानी शाइ’र

1767 -1858

अवध के मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र और रुहानी हस्ती

1775 -1834

हिन्द-ओ-पाक के मा’रूफ़ रुहानी शाइ’र

संजर के रहने वाले एक चिश्ती शाइ’र थे

1899 -1978

उर्दू, फ़ारसी और पंजाबी ज़बान के शाइ’र

1988

इलाहाबाद से तअ’ल्लुक़ रखने वाले नौजवान विद्वान

ठुमरियाँ कहने वाला एक हैदराबादी शाइ’र

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