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कहानी -27-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी

सादी शीराज़ी

कहानी -27-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी

सादी शीराज़ी

MORE BYसादी शीराज़ी

    एक पहलवान कुश्ती लड़ने में बहुत माहिर था। वह तीन सौ साठ दाव-पेंच जानता था और हर रोज़ कोई नया पैंतरा दिखाया करता था। उसका एक शागिर्द भी था जिसे वह बहुत चाहता था। उसने शागिर्द को तीन सौ उनसठ दाव-पेच सिखा दिये थे किन्तु एक जो बच रहा था, उसे सिखाने में वह आनाकानी करता रहा।

    कुछ समय बा’द वह शागिर्द भी ताक़त और हुनर के लिए मशहूर हो गया। कोई भी उसका मुक़ाबला करने को तैयार होता था। धीरे-धीरे उसे इतना घमंड हो गया कि वह बादशाह के पास जाकर बोला, हुज़ूर, उस्ताद की इज़्ज़त मैं इसलिए करता हूँ क्योंकि वह मेरे बुज़ुर्ग हैं और उन्होंने मुझे पाला-पोसा है। मैं ताक़त में उनसे कम नहीं हूँ और जहाँ तक हुनर का सवाल है मैं उनके बराबर ही हूँ।।

    बादशाह को लड़के की यह बात बुरी लगी। उसने दोनों के बीच कुश्ती करवाने का हुक्म दे दिया। कुश्ती के लिए एक बड़ा अखाड़ा तैयार किया गया। सारे दरबार के लोग उस मुक़ाबले को देखने के लिए एकत्र हुए। दुनिया-भर के पहलवान भी दर्शकों में शामिल हो गए। लड़का मस्त हाथी की तरह इतने तेज़ी के साथ अखाड़े में आया कि यदि उसके सामने काँसे का पहाड़ होता तो वह उसे भी उखाड़ फेंकता।

    उस्ताद समझ गया कि लड़के में उससे ज़ियादा ताक़त है इसलिए उसे हरा पाना कठिन होगा। चूंकि उसने एक दाँव उस लड़के को अभी तक नहीं सिखाया था जिस दाँव से उसने लड़के का मुक़ाबला किया। लड़का इस दाँव का काट नहीं जानता था। बेचारा परेशान हो गया। उस्ताद ने दोनों हाथों से उसे अपने सिर के ऊपर उठा लिया और ज़मीन पर दे पटका।

    लोगों ने ख़ुशी से शोर मचाया। बादशाह ने प्रसन्न होकर उस्ताद को इनआ’म और पोशाक दी। उस लड़के को उसने फटकारा, तूने अपने उस्ताद से ही मुक़ाबले का दा’वा किया और फिर कुछ कर भी सका!

    लड़के ने उत्तर दिया, दुनिया के मालिक! उस्ताद ने मुझे ताक़त से नहीं जीता है। इन्होंने कुश्ती का एक दांव मुझसे छिपा रखा था और तमाम उ’म्र उसे सिखाने में टाल-मटोल करते रहे। आज उसी दांव से इन्होंने मुझे हरा दिया।

    उस्ताद ने कहा, मैंने इसी दिन के लिए यह दांव इससे बचाकर रखा था। अ'क़्लमन्दों ने कहा है, 'दोस्त को इतनी ताक़त दे कि यदि वह चाहे तो तुझसे दुश्मनी कर सके।' क्या तूने नहीं सुना कि एक व्यक्ति ने अपने हाथों पाले हुए बच्चे की बे-वफ़ाई देखी तो क्या कहा था? उसने कहा था या तो दुनिया में वफ़ा थी ही नहीं या थी तो शायद किसी ने कभी की ही नहीं।

    'मुझे आज तक ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला, जिसने मुझसे तीर चलाना सीखकर, मुझे ही निशाना बनाया हो।'

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