Sufinama

लखनऊ के शायर और अदीब

कुल: 45

18वीं सदी के बड़े शायरों में शामिल, मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन।

मा’रूफ़ हिन्दुस्तानी शाइ’र और हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद

लखनऊ के मशहूर ताजिर

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और लखनऊ के शाइ’र-ए- मश्शाक़

अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अली शाह के प्रमुख दरबारी और आफ़ताबुद्दौला शम्स-ए-जंग के ख़िताब से सम्मानित शाएर

मुस्हफ़ी का एक मुम्ताज़ शागिर्द

नासिख़ के शिष्य, मराठा शासक यशवंत राव होलकर और अवध के नवाब ग़ाज़ी हैदर की सेना के सदस्य

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

दबिस्तान-ए-लखनऊ के मुम्ताज़ शाइ’र

लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर ' रेख़्ती ' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी।

19वीं सदी की उर्दू ग़ज़ल का रौशन सितारा।

उर्दू के पहले सबसे बड़े शायर जिन्हें ' ख़ुदा-ए-सुख़न, (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है.

हसरत मोहानी के उस्ताद-ए-मोहतरम

फ़िरंगी महल के आ’लिम-ए-दीन और ख़्वाजा अ’ज़ीज़ लखनवी के शागिर्द-ए-अ’ज़ीज़

शायर, ख़दंग-ए-नज़र, ज़माना कानपुर और अदीब जैसी पत्रिकाओं के संपादक

फ़िरंगी महल्ली लखनऊ के आ’लिम-ए-दीन

“अफ़्साना आ’शिक़-ए-दिल-गीर उ’र्फ़ शीरीं फ़र्हाद बित्तस्वीर के मुसन्निफ़।

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए