Sufinama

दिले कि ग़ैब नुमायस्त व जाम-ए-जम दारद

हाफ़िज़

दिले कि ग़ैब नुमायस्त व जाम-ए-जम दारद

हाफ़िज़

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    दिले कि ग़ैब नुमायस्त जाम-ए-जम दारद

    ज़े-ख़ातमे कि दमे गुम शवद चे ग़म दारद

    जो हृदय की पीड़ा को समझने वाला है उसी के पास अभीष्ट सिद्धि करने वाला प्याला भी है। अगर कोई अंगूठी थोड़े समय के लिए उसके पास से खो जाय तो उसे क्या दुःख होगा।

    ब-ख़त्त-ओ-ख़ाल-ए-गदायाँ म-देह ख़ज़ीन:-ए-दिल

    ब-दस्त-ए-शाह-ओ-शै देह कि मोहतरम दारद

    उदासियों की दुखित अवस्था पर अपने हृदय के कोष को मत लुटा बैठ। यदि तुझे अपना दिल देना है तो किसी ऐसे सम्राट के समान यार को दे जो उसका मूल्य भी समझे।

    दिलम कि लाफ़-ए-तजर्रूद ज़दे कनूँ सद शग़्ल

    ब-बू-ए-ज़ुल्फ़-ए-तू बा-बाद-ए-सुब्हदम दारद

    मेरा हृदय जो कि इस नाशवान जगत के अहँकारों से परिपूर्ण था अब तेरी काली अलकों के ध्यान में प्रभात कालीन वायु के साथ-सैकड़ों प्रकार की प्रतीक्षा में बैठा रहता है।

    हर दरख़्त तहम्मुल कुनद जफ़ा-ए-ख़िज़ाँ

    ग़ुलाम-ए-हिम्मत-ए-सर्वम कि ईं क़दम दारद

    प्रत्येक वृक्ष पतझड़ के अत्याचार को सहन नहीं कर सकता। मैं सरो के वृक्ष के साहस का क़ायल हूँ। उसी में इतनी सहनशीलता वर्तमान है।

    रसीद मौसम-ए-आँ कज़ तरब चु नर्गिस-ए-मस्त

    निहद ब-पा-ए-क़दह हर कि शश दिरम दारद

    अब वह ऋतु गई है कि लोग मतवाले हो कर मदिरा के पैरों पर अपना सर्वस्व लुटा दें। इस समय मदिरा का मूल्य देने में आगा पीछा कर।

    ज़र अज़ बहाए मय अकनूँ चु गिल दरेग़ दार

    कि अक़्ल-ए-कुल ब-सदत-ए-ऐ'ब मुत्तहिम दारद

    यह वह प्याला है जो कि गुलाब के समान अपने कोष को छिपाये हुये है। यदि तू ऐसा करेगा तो स्वर्गीय दूत सैकड़ों दोष तेरे, मत्थे मढ़ देगा।

    मुराद-ए-दिल-अज़ कि पुर्सम कि नीस्त दिलदारे

    कि जल्व:-ए-नज़र-ओ-शेव:-ए-करम दारद

    मैं किससे कहूँ कि मेरे हृदय की अभिलाषा को पूरा कर दे। एक भी यार ऐसा नहीं है जो मेरी दृष्टि के सम्मुख मुझे लुभाने के लिए आवे और दया दृष्टि दिखलावे।

    ज़े-सिर्र-ए-ग़ैब कस आगाह नीस्त क़िस्सः म-ख़्वाँ

    कुदाम महरम-ए-दिल रह दरीं हरम दारद

    अदृष्ट के रहस्यों को कोई नहीं जानता है और उनके समझने का प्रयत्न करो। हृदय के रहस्यों से परिचित भी कोई जीव ऐसा नहीं है जो वहाँ तक पहुँच सके।

    ज़े-जेब-ए-ख़िर्क़:-ए-'हाफ़िज़' चे तरफ़ ब-तवाँ बस्त

    कि मा समद तलबीदेम-ओ-ऊ-सनम दारद

    हाफ़िज़ की गुदडी की जेब से क्या लाभ उठाया जा सकता है। हम तो ईश्वर को ढूँढने का प्रयत्न कर रहे हैं और उसमें मूर्ति वर्तमान है।

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