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रोज़गारेस्त कि सौदाय-ए-बुताँ दीन-ए-मन अस्त

हाफ़िज़

रोज़गारेस्त कि सौदाय-ए-बुताँ दीन-ए-मन अस्त

हाफ़िज़

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    रोज़गारेस्त कि सौदाय-ए-बुताँ दीन-ए-मन अस्त

    ग़म-ए-ईं-कार नशात-ए-दिल-ए-ग़मगीन-ए-मन अस्त

    बहुत समय से प्रियतमाओ से प्रेम करना ही मेरा धर्म हो गया है। और यह काम मेरे दुखी हृदय को आनन्द प्रदान करता है।

    दीदन-ए-रू-ए-तु रा दीद:-ए-जाँ मी-बायद

    वीं कुजा मरतब:-ए-चश्म-ए-जहाँ बीन-ए-मन अस्त

    जब से तेरे प्रणय ने मुझे कविता लिखना सिखाया है, सभी लोग मेरी बड़ाई करते हैं और मुझे प्रतिष्ठा की दृष्टि से देखते हैं।

    ता मरा इ'श्क़-ए-तू ता'लीम-ए-सुख़न गुफ़्तन कर्द

    ख़ल्क़ रा विर्द-ए-ज़बाँ मिदहत-ओ-तहसीन-ए-मन अस्त

    भगवन् कृपा करके मुझे संन्यासी बना दे। इसी में मेरी प्रतिष्ठा और ख्याति है। मेरी इच्छा है कि तुम मेरे साथ ही साथ चलो।

    दौलत-ए-फ़क़्र ख़ुदाया ब-मन अर्ज़ानी दार

    कीं करामत सबब-ए-हश्मत-ओ-तमकीन-ए-मन अस्त

    कारण, कि आकाश और पृथ्वी दोनों की शोभा तुम्हारे चन्द्रमा से मुख और मेरे प्रवीन से आँसूओ से है।

    यार-ए-मा बाश कि ज़ेब-ए-फ़लक-ओ-ज़ीनत-ए-दहर

    अज़ मह-ए-रू-ए-तू वज़ अश्क चू परवीन-ए-मन अस्त

    यह जो नाना प्रकार के उपदेश दे रहा है उस सुधारक से कह दो कि वह अधिक शान दिखावे। यह मेरा दीन हीन हृदय जिसे वह उपदेश दे रहा है, सम्राट का निवास स्थान है। हे ईश।

    वाइज़-ए-शहन:-शनास ईं अज़्मत गो म-फ़रोश

    ज़ाँ कि मंज़िल-गह-ए-सुल्तान-ए-दिल-ए-मिसकीन-ए-मन-अस्त

    यह लोगों का तीर्थ-स्थान का’बा किसके सैर करने की जगह है? इसके मार्ग के काटे मेरे लिये गुलाब और चमेली के पुष्पों के समान हैं।

    या-रब ईं का'ब:-ए-मक़सूद-ओ-ज़ियारत-गह-ए-कीस्त

    कि मुगी़लान-ए-तरीक़श गुल-ओ-नसरीन-ए-मन-अस्त

    हाफ़िज़ परवेज़ बादशाह के ठाट बाट का वर्णन करो, क्योंकि उसकी ख्याति भी तो मेरे ख़ुसरू और शीरीं के प्याले को ओठो से लगाने ही से थी।

    'हाफ़िज़' अज़ हश्मत-ए-परवेज़ दिगर क़िस्स: म-ख़्वाँ

    कि लबश जुर्अ':-कश-ए-ख़ुसरव-ओ-शीरीन-ए-मन-अस्त

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