Sufinama
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Gopal Chandr Mishar

Dohe of Gopal Chandr Mishar

हरिद्वार ते कै परसि, बद्रिनाथ केदार।

होत कृतारथ जीव यह, उत्तर खंड मंझार।।

दक्षिण पिय सुन कान दे, दक्षिण दक्षिण जात।

लक्षण लक्षण गक्षि के, लक्षण ही लगि जात।।

खेती करत किसान के, मोते दुःख सुनि लेउ।

हर लै कै पिय खेत में, भूलि पांव मति देउ।।

सदा सीत भयभीत नर, व्याघ्र सिंह वृष घोर।

कीजै नही पयान पिय, उत्तर दिसि को ओर।।

गाम इजारो छाड़ि के, खेती करिहौ वाम।

सब जग जाके करे ते, खात पियत निज धाम।।

मरत रैन दिन बारि बिन, भटकि भटकि नर नारि।

करिये नही पयान पिय, पश्चिम ओर निहारि।।

राखे दक्षिण तें अबै, जो दिसि पश्चिम जात।

ताके अब सुन लीजिये, प्यारी ! सुख अवदात।।

दयावान धनवान पुनि, लोग बड़ै गुनवान।

यातें दच्छिन देस को, करिये सदा पयान।।

रूप विशेष धन, भूमि सुहावन देस।

जाय करौं याते अबै, पूरब को परदेस।।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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