अष्टछाप के कवि और वल्लभाचार्य के शिष्य। जन्म गोवर्धन पर्वत से कुछ दूर जमुनावती गाँव में हुआ था। परसौली चंद्रसरोवर के पास इनकी खेती थी। यहाँ अपने पुत्र चतुर्भुजदास के साथ रहते थे। इनके पदों की प्रसिद्धि अकबर तक पहुंची तो इन्हें बुलवाया गया। इस प्रसंग में इनका पद- "भक्त को कहा सीकरी सो काम" प्रसिद्ध है। चंद्रसरोवर पर इनसे मिलने मानसिंह भी गए थे।