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महमूद शबिस्तरी

1250 - 1320 | शब्सतर, ईरान

आठवीं सदी हिज्री के आ’रिफ़, अदीब-ओ-शाइ’र

आठवीं सदी हिज्री के आ’रिफ़, अदीब-ओ-शाइ’र

महमूद शबिस्तरी का परिचय

उपनाम : 'महमूद'

मूल नाम : महमूद

जन्म :शब्सतर, पूर्वी अज़रबैजान

निधन : पूर्वी अज़रबैजान, ईरान

शैख़ सा’दुद्दीन महमूद शबिस्तरी बिन अ’ब्दुल करीम बिन यहया शबिस्तरी क़स्बा-ए-शबिस्तर में 1250 ई’स्वी में पैदा हुए। ये हलाकू ख़ान का ज़माना था।शबिस्तर तबरेज़ से आठ फ़र्संग के फ़ासले पर वाक़े’ है। महमूद शबिस्तरी ने अपने आबाई क़स्बे में नशो-ओ-नुमा पाई और सिन्न-ए-रुश्द को पहुँचे। अल-जायतू और अबू सई’द के अ’हद में उन्हें शोहरत हासिल हुई और तबरेज़ के नामी-गिरामी उ’लमा और फ़ुज़ला में शुमार किए जाने लगे। वे ईरान के अकाबिर उ’रफ़ा में से थे। उनकी वज्ह-ए-शोहरत मस्नवी 'गुलशन-ए-राज़' है वह |अपने ज़माने के सूफ़ी उ’लमा में शुमार होते थे। दीनी मसाएल के हल करने में बड़ी दिक़्क़त-ए-नज़र से काम लेते थे। लोग उन मसाएल में उनसे रुजूअ’ किया करते थे| तालिबान-ए-हक़ अतराफ़-ओ-अकनाफ़ से उनकी ख़िदमत में दौड़ते आते थे और इ’ल्मी मसाएल में अपनी मुश्किलों को हल करने की दरख़्वास्त करते थे। किताब रौज़ातुल-जीनान के मुताबिक़ वो साल 740 हिज्री में या’नी 52 या 53 बरस की उ’म्र में फ़ौत हुए।


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