मिर्ज़ा रौशन ज़मीर नेही का परिचय
उपनाम : 'नेही'
मूल नाम : रौशन ज़मीर
ये औरंंगजेब के शाही मनसबदार थे। इन्होंने संस्कृत तथा हिंदी छंद शास्त्र का गंभीर अध्ययन किया था। संगीत में भी इनकी रुचि थी। संगीत के चौदह हज़ार रागों पर उनका अधिकार था जिनमें बहुत से रागों का उल्लेख उन्होंने अपनी अरबी, फ़ारसी एवं हिंदी कृतियों में किया है।
इन्होंने अहोबल कृत 'संगीत पारिजात' का फारसी अनुवाद किया था। फारसी में मीरज़ा का तखल्लुस 'ज़मीर' था लेकिन हिंदी में इन्होंने 'नेही' उपनाम से कविता की है। ये श्रृंगार और भक्ति रस के कवि थे। इनकी मृत्यु सन् 1656 ई. में हुई।