मुल्ला वजही का परिचय
मुल्ला वजही ने दक्कनी कविता को शीर्ष पर पहुंचाया। वजही राजकवि मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह के पिता सुल्तान इब्राहीम क़ुली क़ुतुब शाह (1550-80) के समय ही कविता करने लगा था। यह समय तुलसीदास की तरुणाई का वक़्त है। वजही के दो ग्रंथ मिलते हैं- पहला क़ुतुब मुश्तरी जिसे उशने 1609 ई. में समाप्त किया था। यह कवि की मौलिक कृति है जिसमें बंगाल की राजकुमारी मुश्तरी और इब्राहीम क़ुतुब शाह के उत्तराधिकारी मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह के प्रेम का वर्णन किया है। वजही के समकालीन गोवासी आदि कई कवि गोलकुंडा में मौजूद थे। लेकिन वह अपने पूर्व के कवियों में फिरोज और महमूद का ही सम्मान के साथ स्मरण करता है। इनकी दूसरी कृति सबरस गद्य रचना है और यह मौलिक कृति नहीं समझी जाती।