Sufinama
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कवि ऐनसांईं

1792 - 1845 | ग्वालियर, भारत

कवि ऐनसांईं का परिचय

ऐनसांई का पूरा नाम ऐनुल्ला हुसैन शाह था पर उन्हें ऐन-ऐनानन्द, ऐनसांई और ऐनुल्लाह के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म ग्वालियर में हुआ था और अधिकांश जीवन वहीं व्यतीत हुआ। इनके पिता बेगरा पठान हिरात के थे, जो रिशाला पलटन में नौकर थे। सूफियों में रसूलशाही सिलसिले के फकीर हज़रत फिदा हुसैन से 23 वर्ष की अवस्था में मुरीद हुए और फकीरी कुबूल की। सन् 1869 में वह अजमेर शरीफ़ आये और यहाँ से दिल्ली पहुंचे। 1872 ई. में ये रसूलशाही सिलसिले में मुरीद हुए। ऐनसांई का पहनावा फकीरों की तरह था। लंबा-पीला कुर्ता, उसके नीचे कोपीन और चोटीदार ऊँची टोपी इनका पहनावा था। ये दरियादिल सूफी थे और इनके मुरीदों में हिंदू और मुसलमान दोनों थे। काशी नरेश चैतसिंह के पुत्र राजा बलचंद्र सिंह ऐनसांई के पहले मुरीद बने। इनके प्रधान शिष्यों में गोपाल उपनाम का एक कवि भी था। इनकी रचनाएं- (1) सिद्धान्त सार, (2) गुरु उपदेश सार, (3) इनायत हुजूर, (4) सुरा रहस्य, (5) भक्ति रहस्य, (6) अनुभव सार, (7) बह्य विलास, (8) सुख विलास, (9) भिक्षुक सार, (10) हित उपदेश, (11) स्वयं प्रकाश और (12) ऐनानन्द सागर।

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