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शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
ग़ज़ल
ग़म-ए-उल्फ़त ग़म-ए-फ़ुर्क़त ग़म-ए-दुनिया ग़म-ए-'उक़्बाजो बात आई हमारी ज़िंदगी में यादगार आई
अज़मत हुसैन ख़ान
ग़ज़ल
मजबूर-ए-तअ'ल्लुक़ हूँ जब ग़ौर किया मैं नेदुनिया तो न थी दिल में लेकिन ग़म-ए-दुनिया था
सीमाब अकबराबादी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
नोश कर्दम जाम-ए-मय साक़ी ज़े-चश्म-ए-मस्त-ए-तूअज़ ग़म-ए-दुनिया-ओ-दीं मन ईं पनाहे साख़्तम