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सूफ़ी कहानी
एक दोस्त का हज़रत-ए-यूसुफ़ से मिलने आना और हज़रत-ए-यूसुफ़ का उस से हदिया तलब करना - दफ़्तर-ए-अव्वल
एक मेहरबान दोस्त किसी दूर मुल्क से आया और यूसुफ़-ए-सिद्दीक़ का मेहमान हुआ। चूँकि अपने को
रूमी
सूफ़ी कहानी
एक शख़्स का बे मेहनत हलाल रोज़ी तलब करना- दफ़्तर-ए-सेउम
एक शख़्स दाऊद अ’लैहिस-सलाम के ज़माने में रोज़ाना ये दुआ’ करता था कि ऐ ख़ुदा मुझे
रूमी
ग़ज़ल
मुझे शौक़-ए-दीद में पा के गुम वो नक़ाब उलट के जो आ गएनज़र और कुछ भी न आ सका वो मेरी नज़र में समा गए
सदिक़ देहलवी
बैत
सय्याह-ए-अ’र्श नक़्श-ए-कफ़-ए-पा-ए-मुस्तफ़ा
सय्याह-ए-अ’र्श नक़्श-ए-कफ़-ए-पा-ए-मुस्तफ़ाकौन-ओ-मकाँ सफीना-ए-दरिया-ए-मुस्तफ़ा
मुज़फ़्फ़र वारसी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
आमदम ता रू निहम बर ख़ाक-पा-ए-यार-ए-ख़ुदआमदम ता 'उज़्र ख़्वाहम सा'अते अज़ कार-ए-ख़ुद
रूमी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ता दिलम दर तलब-ए-वस्ल-ए-तू अज़ जाँ बरख़ास्ततूती-ए-नुत्क़-ए-मन अज़ दर्द-ए-फ़िराक़त गोयास्त