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शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
फ़ारसी कलाम
दिल रा ब-यक करिश्म:-ए-पिन्हाँ फ़रोख़्तेमपुर्कार बूद मुश्तरी अरज़ाँ फ़रोख़्तेम
नूरुद्दीन ज़ुहूरी
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सूफ़ी कहावत
अगर दुआ-ए-तिफ़्लां रा असर बूदे यक मोअल्लिम ज़िंदा नमांदे
अगर बच्चों की प्रार्थना में असर होता, तो कोई शिक्षक जिंदा नहीं रहता।
वाचिक परंपरा
फ़ारसी कलाम
ऐ माह-ए-ख़ूबाँ यक शबे बा-ख़्वेश मेहमाँ कुन मरावज़ आफ़ताब-ए-रु-ए-ख़ुद चूँ सुब्ह ख़ंदाँ कुन मरा
अमीर हसन अला सिज्ज़ी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
यक शबे ग़व्वास बूदम बर लब-ए-दरिया-ए-'इश्क़सद हज़ाराँ दुर्र-ओ-गौहर दीदम अज़ दरिया-ए-'इश्क़
रूमी
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
बंगाल के ख़ुद-मुख़्तार पठान सुल्तान बंगला ज़बान के बहुत बड़े हिमायती थे।सुलतान हुसैन शाह ने सरकारी