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ना'त-ओ-मनक़बत
जगत-गुरु महाराज हमारे सल्लल्लाहु 'अलैहि वसल्लम
अल्लाह के महबूब हैं प्यारे सल्लल्लाहु 'अलैहि वसल्लम
वासिफ़ अली वासिफ़
सलोक
फ़रीदा सुता अह नींदम पिवदो ईव
फ़रीदा सुता अह नींदम पिवदो ईव
जिन्नी नैन नीदावले से धनी मिलन्दे कीव
बाबा फ़रीद
दोहा
'रहमन' गली है सॉकरी दूजो ना ठहराहिं
'रहमन' गली है सॉकरी दूजो ना ठहराहिं
आपु अहै तो हरि नहीं हरि तो आपुन नाहिं
रहीम
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फ़ारसी कलाम
हसन जान
रूबाई
अब्र शाह वरसी
ग़ज़ल
जमाल-ए-नूर-ए-रहमाँ पर ग़ज़ल कहना 'इबादत है
वो ख़िल्क़त के निगहबाँ पर ग़ज़ल कहना 'इबादत है
महमूद अहमद रब्बानी
राग आधारित पद
सामिक तान - सामिक उपजत तान द्वै सो हैं सोरह जान
सामिक उपजत तान द्वै सो हैं सोरह जान
एक-एक संख्या कही बत्तिस-बत्तिस मान
तानसेन
कलाम
एह तन रब्ब सच्चे दा हूजरा विच पा फ़क़ीरा झाती हू
न कर मिन्नत ख़्वाज ख़िज़र दी तैं अंदर आब हयाती हू
सुल्तान बाहू
कलाम
एह तन रब्ब सच्चे दा हुजरा खिड़ियाँ बाग़-बहाराँ हू
विच्चे कूज़े विच मुसल्ले विच सज्दे दियाँ ठाराँ हू
सुल्तान बाहू
कलाम
इलाही क्या करें ज़ब्त-ए-मोहब्बत हम तो मरते हैं
ये नाले तीर बन-बन कर कलेजे में उतरते हैं
दाग़ देहलवी
कलाम
एह तन रब सच्चे दा हुजरा विच पा फ़कीराँ झाती हू
न कर मिन्नत ख़्वाजा ख़िज़र दी तैं अंदर आब हयाती हु
सुल्तान बाहू
ग़ज़ल
इलाही ख़ैर करना इ'श्क़ की मंज़िल परेशाँ है
इधर है इज़्तिराब-ए-दिल उधर क़ातिल परेशाँ है