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कलाम
आक़िल रेवाड्वी
कलाम
मैं भी अदना साक़िया तेरे तलब-गारों में हूँचौदहवीं का चाँद तू है मैं तिरे तारों में हूँ
मोहम्मद बादशाह क़दीर
कलाम
मुझे दीवाना मत समझो किसी की ख़ाक-ए-पा हूँ मैंफ़रिश्ते जिस के दरबाँ हैं वो ख़ाक-आश्ना हूँ मैं
अज्ञात
कलाम
एह तन रब सच्चे दा हुजरा विच पा फ़कीराँ झाती हून कर मिन्नत ख़्वाजा ख़िज़र दी तैं अंदर आब हयाती हु
सुल्तान बाहू
कलाम
एह तन रब्ब सच्चे दा हूजरा विच पा फ़क़ीरा झाती हून कर मिन्नत ख़्वाज ख़िज़र दी तैं अंदर आब हयाती हू
सुल्तान बाहू
कलाम
अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहींमस्लक-ए-अहल-ए-वफ़ा ज़ब्त है फ़रियाद नहीं
सीमाब अकबराबादी
कलाम
बीत गया हंगाम-ए-क़यामत रोज़-ए-क़यामत आज भी हैतर्क-ए-तअल्लुक़ काम न आया उन से मोहब्बत आज भी है