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Sufinama

कलाम

सूफ़ियाए किराम के लिखे हुए ज़्यादा-तर अशआर कलाम के ज़ुमरे में ही आता है और उसे महफ़िल समाव के दौरान भी गाया जाता है।

1878/79 -1941

क़ौमी, सामाजिक और देश की आज़ादी की भावना से समर्पित नज़्मों के लिए प्रसिद्धके. लम्बे अरसे तक उर्दू-फ़ारसी के उस्ताद रहे

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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