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Sufinama

आज का विचार

प्रसिद्ध सूफ़ियों और लोकप्रिय संतों के लोकप्रिय उद्धरण पढ़ें

Death is a bridge which expands the passage for a lover to reach his beloved (God).

Death is a bridge which expands the passage for a lover to reach his beloved (God).

ख़्वाजा ग़रीब नवाज़

Every visitor should be served something; if there is nothing to offer, a cup of water may be offered.

Every visitor should be served something; if there is nothing to offer, a cup of water may be offered.

निज़ामुद्दीन औलिया

One who serves becomes the master.

One who serves becomes the master.

निज़ामुद्दीन औलिया

The wound is the place where the Light enters you

The wound is the place where the Light enters you

रूमी

God rains misfortune and misery upon the heads of those whom He loves.

God rains misfortune and misery upon the heads of those whom He loves.

ख़्वाजा ग़रीब नवाज़

All people on the planet are children, except for a very few. No one is grown up except those free of desire.

All people on the planet are children, except for a very few. No one is grown up except those free of desire.

रूमी

प्रस्तुति

प्रसिद्ध सूफ़ी और संत कवियों की हज़ारों कविताएँ पढ़ें

रूमी

रूमी

1207 - 1273
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अमीर ख़ुसरौ

अमीर ख़ुसरौ

1253 - 1325
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हाफ़िज़

हाफ़िज़

1315 - 1390
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शाह नियाज़ अहमद बरेलवी

शाह नियाज़ अहमद बरेलवी

1775 - 1834
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बेदम शाह वारसी

बेदम शाह वारसी

1876 - 1936
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ज़हीन शाह ताजी

ज़हीन शाह ताजी

1902 - 1978
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सूफ़ी शब्दावली

सूफ़ी साहित्य की शब्दावली से अवगत हों

हमा-ऊस्त

hama-uustہمہ اوست

फ़ना

fanaaفنا

दर्वेश

darveshدرویش

बुतकदा/बुतख़ाना

but-kada/but-KHaanaبت کدہ/بت خانہ

काव्य संचयन

सूफ़ी और संत कवियों के प्रसिद्ध कलाम पढ़ें

संत वाणी

संत वाणी भक्ति आन्दोलन के प्रमुख संतों की वाणियों का प्रतिनिधित्व करती है . संत कवियों ने कई विधाओं में पद लिखे जिनमे दोहा, शब्द आदि तो लोगों के बीच प्रचलित हैं वहीँ कई विधाएं आज भी कम प्रचलित हैं हालाँकि उनमे उल्लेखनीय साहित्य विद्यमान है . इस विभाग में संत काव्य का संकलन निश्चय ही आपकी आत्मा को पोषित करेगा ।

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सूफ़ी कलाम

सूफ़ी कलाम सूफ़ी भक्ति काव्य को कहते हैं जो अमूमन समाअ' महफ़िलों में गाया जाता रहा है .यह श्रोताओं के लिए गूढ़ अर्थों को सरल शब्दों में व्यक्त करने का एक माध्यम रहा है जिसे सूफ़ी संतों ने बख़ूबी समझा .सूफ़ी कलाम की कई विधाएं यथा, क़व्वाली, काफ़ी, ख़याल, तराना इत्यादि जन मानस में ख़ासी लोकप्रिय रही हैं।

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प्रसिद्ध सूफ़ी क़व्वालियों के बोल यहाँ पढ़ें

क़व्वाली मौसीक़ी की एक किस्म है, जब किसी क़ौल (कथन) को बार-बार दुहराया जाये तो उसे क़व्वाली कहते हैं। क़व्वाली को सिलसिला-ए- चिश्तिया में ख़ास एहमीयत दी जाती है। इस में क़व्वाल किसी कलाम या ग़ज़ल को तरन्नुम के साथ पेश करते हैं जिसको सुनते ही हाज़रीन-ए-महफ़िल कैफ़-ओ-मस्ती का इज़हार करते हैं, रिवायात के मुताबिक़ क़व्वाली की शौहरत हज़रत अमीर ख़ुसरो से हुई। क़दीम रिवायती कलाम ज़्यादा-तर फ़ारसी और उर्दू में मिलता है, ताहम आजकल पंजाबी, सरायकी, पश्तो, सिंधी, बलूची और दीगर ज़बानों में भी क़व्वाली बड़ी प्रसिद्द है।

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संपादकीय टीम का अनूठा चयन

उ’र्स

सूफ़ियों के यहाँ मौत को विसाल (मिलन) कहते हैं .सूफ़ियों का मरना उनके जीवन की तरह ही अनोखा होता है. कुछ भी नहीं मरता. फूल मिट जाता है, खुशबू शेष रह जाती है .ये खुशबू सदा के लिए होती है और मौत का दिन इनके लिए गोया अपने महबूब से मिलन का दिन होता है. इसी वजह से इनकी सालाना बरसी को उर्स कहते हैं . उर्स शब्द अरबी के अरूस शब्द से आया हैं, जिसके मानी शादी की दावत या क़ाफ़िले के पड़ाव के होते हैं .जिस तरह शादी के दिन दूल्हा और दुल्हन का मिलन होता है, धूम धाम से दावत होती है या क़ाफ़िला एक मंज़िल से दूसरी मंज़िल पर पहुंच कर पड़ाव करता है उसी प्रकार एक सूफ़ी भी दुनिया की मंज़िल से गुज़रकर आख़िरत की मंज़िल को पहुंचते हैं . इनके खुदा से मिलन की ख़ुशी में व्याह की सी धूम धाम की जाती है .

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दरगाह और ख़ानक़ाह

ख़ानक़ाह शब्द फ़ारसी से लिया गया है जिसके मा'नी हैं ऐसी जगह जहाँ एक सूफ़ी सिलसिले के लोग किसी मुर्शिद के निर्देशन में आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त करते हैं . यहाँ अध्यात्म पर चर्चाएं होती हैं और आपसी सद्भाव का सूफ़ी सदेश आम किया जाता है. हिंदुस्तान में सूफ़ी ख़ानक़ाहों का एक लम्बा और प्रसिद्द इतिहास रहा है . हज़रत निजामुद्दीन औलिया की ख़ानक़ाह हिंदुस्तान भर में प्रसिद्द है जहाँ पर योगियों, सूफ़ियों और मलंगों का जमघट लगा रहता था . लंगर का चलन भी सूफ़ियों के द्वारा ही हिंदुस्तान में आया. सूफ़ी ख़ानक़ाहों में रोज़ लंगर हुआ करते थे जिनमे जाति, धर्म और संप्रदाय को पूछे बिना सब को खाना खिलाया जाता था .

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सूफ़ीनामा ब्लॉग

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Dastan Hazrat Nizamuddin Auliya-Amir Khusrau- Har Qaum Rast Raahey

सय्यद साहिल आग़ा

Dastan Hazrat Nizamuddin Auliya-Amir Khusrau- Har Qaum Rast Raahey

सय्यद साहिल आग़ा

Man Kunto Maula- Shahid Niyazi- Sami Niyazi

शाहिद नियाज़ी

Aaj Tona main aisa banaungi - Warsi Brothers

वारसी ब्रदर्स

गर यार हो बहम कोई हो हो ना हो ना हो -हज़रत इम्दाद अ'ली उ'ल्वी

परवेज़ और मिस्कीन हुसैन क़व्वाल

Ganj Shakar ke laal Nizamuddin- Raju Murli Qawwal

मुरली राजू

Chhaap Tilak Sab Chheeni re mosey Naina Milaye ke

मंजरी चतुर्वेदी

Letters of Khwaja Sahab

दानिश इक़बाल

Aaj Rang Hai - Shahid Niyazi- Sami Niyazi

शाहिद नियाज़ी

Kahe Ko biyahi bides Warsi Brothers sings Hazrat Amir Khusrau

वारसी ब्रदर्स

कर ग़ौर ज़रा दिल में कुछ जल्वागरी होगी - हज़रत इम्दाद अ'ली उ'ल्वी

परवेज़ और मिस्कीन हुसैन क़व्वाल

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