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कलाम

सूफ़ियाए किराम के लिखे हुए ज़्यादा-तर अशआर कलाम के ज़ुमरे में ही आता है और उसे महफ़िल समाव के दौरान भी गाया जाता है।

1440 -1518

पंद्रहवीं सदी के एक सूफ़ी शाइ’र और संत जिन्हें भगत कबीर के नाम से भी जाना जाता है, कबीर अपने दोहे की वजह से काफ़ी मशहूर हैं, उन्हें भक्ति तहरीक का सबसे बड़ा शाइ’र होने का ए’ज़ाज़ हासिल है

1905 -1976

‘’आपको पाता नहीं जब आपको पाता हूँ मैं’’ लिखने वाले शाइ’र

1845 -1901

पाकिस्तान से तअ’ल्लुक़ रखने वाले मशहूर सूफ़ी शाइ’र आपकी काफ़ियाँ काफ़ी मशहूर हैं

1721 -1785

सूफ़ी शाइ’र, हिन्दुस्तानी मौसीक़ी के गहरे इ’ल्म के लिए मशहूर

1715 -1788

अ’ज़ीमाबाद के मुम्ताज़ सूफ़ी शाइ’र और बारगाह-ए-हज़रत-ए- इ’श्क़ के रूह-ए-रवाँ

1996

ख़ानक़ाह नासरिया, सहारनपुर के चश्म-ओ-चराग़

1778 -1846

19वीं सदी की उर्दू ग़ज़ल का रौशन सितारा।

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