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कलाम

सूफ़ियाए किराम के लिखे हुए ज़्यादा-तर अशआर कलाम के ज़ुमरे में ही आता है और उसे महफ़िल समाव के दौरान भी गाया जाता है।

1984

सिलसिला-ए-वारसिया के लोकप्रिय ख़तीब और सूफ़ी शाइ’र

बोलिए