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Sufinama

ना'त-ओ-मनक़बत

ना’त हज़रत मुहम्मद (PBUH) की शान में लिखे गए कलाम को कहते हैं। ना’त को हम्द के बा’द पढ़ा जाता है। मनक़बत किसी सूफ़ी बुज़ुर्ग की शान में लिखी गयी शायरी को कहते हैं। हम्द और ना’त के बा’द अक्सर क़व्वाल जिस सूफ़ी बुज़ुर्ग के उर्स पर क़व्वाली पढ़ते हैं उनकी शान में मनक़बत पढ़ी जाती है।

1080 -1131/41

मशहूर ग़ज़ल-गो शाइ’र और फ़लसफ़ी

1946

मुसन्निफ़, अदीब, शाइ’र और मुदर्रिस

सिलसिला-ए-वारसिया से अ’क़ीदत रखने वाला शाइ'र

-1961

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और अ’र्श गयावी के शागिर्द

1816 -1886

दबिस्तान-ए-अ’ज़ीमाबाद का एक उस्ताद शाइ’र

1875 -1951

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

1989

इस्लामाबाद के युवा कवि जिनकी शाइ'री सुंदरता , प्रेम , सूफीवाद और नैतिक शिक्षाओं से भी भरपूर है।

1315 -1390

फ़ारसी के मक़बूल-तरीन शाइ’र और फ़ाल-नामा के लिए मशहूर

1915 -1989

वकील, लीडर और शाइ’र

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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