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Sufinama

ना'त-ओ-मनक़बत

ना’त हज़रत मुहम्मद (PBUH) की शान में लिखे गए कलाम को कहते हैं। ना’त को हम्द के बा’द पढ़ा जाता है। मनक़बत किसी सूफ़ी बुज़ुर्ग की शान में लिखी गयी शायरी को कहते हैं। हम्द और ना’त के बा’द अक्सर क़व्वाल जिस सूफ़ी बुज़ुर्ग के उर्स पर क़व्वाली पढ़ते हैं उनकी शान में मनक़बत पढ़ी जाती है।

1965

प्रमुख पाकिस्तानी शोधकर्ता, लेखक और कवि और पंजाब विश्वविद्यालय (लाहौर) के अध्यक्ष

1856 -1927

हिन्दुस्तान के मा’रूफ़ ख़ैराबादी शाइ’र और जाँ-निसार अख़तर के पिता

1813 -1882

मय-कश अकबराबादी के जद्द-ए-अमजद

1933 -2011

मा’रूफ़ मुसन्निफ़, अदीब, फ़िल्म-गीतकार और शाइ’र

1906 -1942

हज़रत शाह मोहसिन दानापुरी के मुम्ताज़ शागिर्द-ए-रशीद

जामिया ग़रीब-नवाज़, इलाहाबाद के प्रधानाध्यापक

ٖफ़तेहपुर के युवा कवि और तसव्वुफ़ के प्रेमी

1935 -2002

आरा के वारसी शाइ’र

1979

दौर-ए-हाज़िर के एक मुहक़्क़िक़ और शे’र-ओ-अदब और मज़हबी,तारीख़ी तहक़ीक़ात में एक मुनफ़रिद मुक़ाम रखते हैं, बिल-ख़सूस ना’तिया अदब आप का शनाख़्त नामा है

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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