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Sufinama

ना'त-ओ-मनक़बत

ना’त हज़रत मुहम्मद (PBUH) की शान में लिखे गए कलाम को कहते हैं। ना’त को हम्द के बा’द पढ़ा जाता है। मनक़बत किसी सूफ़ी बुज़ुर्ग की शान में लिखी गयी शायरी को कहते हैं। हम्द और ना’त के बा’द अक्सर क़व्वाल जिस सूफ़ी बुज़ुर्ग के उर्स पर क़व्वाली पढ़ते हैं उनकी शान में मनक़बत पढ़ी जाती है।

1916 -1970

मा’रूफ़ फ़िल्म गीत-कार और बेहतरीन शाइ’र

1957

ख़ानक़ाह आरफ़िया, सय्यद सरावां, इलाहाबाद के सज्जादा-नशीं और मशहूर धर्मगुरू

1078 -1166

सिल्सिला-ए-क़ादिरिया के बानी और नामवर सूफ़ी

1864

हाजी वारिस अ’ली शाह के जाँ-निसार मुरीद

नातिया अदब के शोधकर्ता और खानकाह हलीमिया अबुलउ'लाइया, इलाहाबाद के प्रसिद्ध सज्जादा नशीन

ख़ानक़ाह ग़ौसिया अस्दकिया, सासाराम के सक्रिय व्यक्ति और दक्षिण अफ्रीका में युवा धार्मिक विद्वान के रूप में प्रसिद्ध

1963

अहद-ए-हाज़िर का बेहतरीन शाइ’र

1843 -1909

बिहार के महान सूफ़ी कवि

1943 -2024

अरबी भाषा और साहित्य के लोकप्रिय विद्वान और मनेर शरीफ़ ख़ानकाह की महान हस्ती

1767 -1858

अवध के मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र और रुहानी हस्ती

1775 -1834

हिन्द-ओ-पाक के मा’रूफ़ रुहानी शाइ’र

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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