ना'त-ओ-मनक़बत
ना’त हज़रत मुहम्मद (PBUH) की शान में लिखे गए कलाम को कहते हैं। ना’त को हम्द के बा’द पढ़ा जाता है। मनक़बत किसी सूफ़ी बुज़ुर्ग की शान में लिखी गयी शायरी को कहते हैं। हम्द और ना’त के बा’द अक्सर क़व्वाल जिस सूफ़ी बुज़ुर्ग के उर्स पर क़व्वाली पढ़ते हैं उनकी शान में मनक़बत पढ़ी जाती है।
ख़ानक़ाह आरफ़िया, सय्यद सरावां, इलाहाबाद के सज्जादा-नशीं और मशहूर धर्मगुरू
नातिया अदब के शोधकर्ता और खानकाह हलीमिया अबुलउ'लाइया, इलाहाबाद के प्रसिद्ध सज्जादा नशीन
ख़ानक़ाह ग़ौसिया अस्दकिया, सासाराम के सक्रिय व्यक्ति और दक्षिण अफ्रीका में युवा धार्मिक विद्वान के रूप में प्रसिद्ध
अरबी भाषा और साहित्य के लोकप्रिय विद्वान और मनेर शरीफ़ ख़ानकाह की महान हस्ती