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Sufinama

ना'त-ओ-मनक़बत

ना’त हज़रत मुहम्मद (PBUH) की शान में लिखे गए कलाम को कहते हैं। ना’त को हम्द के बा’द पढ़ा जाता है। मनक़बत किसी सूफ़ी बुज़ुर्ग की शान में लिखी गयी शायरी को कहते हैं। हम्द और ना’त के बा’द अक्सर क़व्वाल जिस सूफ़ी बुज़ुर्ग के उर्स पर क़व्वाली पढ़ते हैं उनकी शान में मनक़बत पढ़ी जाती है।

अजमेर शरीफ़ के वारसी शाइ’र

1881 -1956

बंगाल के प्रमुख शायर

1929 -1993

पाकिस्तान की मशहूर रुहानी शख़्सियत और मुमताज़ मुसन्निफ़

1999

जोश से भरपूर एक युवा समकालीन कवि

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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