बे-ख़ुद अज़ बाद:-ए-यारम इमशब
बे-ख़ुद अज़ बाद:-ए-यारम इमशब
नीस्त आराम-ओ-क़रारम इमशब
आज की रात मैं बादा-ए-महबूब से बे-ख़ुद हूँ
आज की रात मुझे आराम-ओ-क़रार नसीब नहीं है
मस्तम अज़ जाम-ए-मय-ए-वहदत-ए-ऊ
लेक फ़ारिग़ ज़े-ख़ुमारम इमशब
गरचे उस के जाम-ए-वहदत से मस्त हूँ
लेकिन मुझे आज की रात ख़ुमार नहीं है
ब-मियाँ आमदः आँ जान-ए-जहाँ
मन-ए-मिस्कीन ब-किनारम इमशब
वो जान-ए-जहाँ दरमियान में आ गया
आज की रात ये बेचारा हिज्र में मुब्तला है
ब-मियाँ रफ़्त: दोई-ए-मन-ओ-मा
नीस्त अज़ ख़ुद सरोकारम इमशब
मन-ओ-मा की दुई दरमियान से उठ गई
आज की रात मुझे ख़ुद से कोई सरोकार नहीं है
आफ़ताब-ए-रुख़-ए-ऊ ताबाँ अस्त
रोज़ बाशद शब-ए-तारम इमशब
उस के चेहरे का आफ़ताब आज चमक रहा है
आज दिन अँधेरी रात में तबदील हो जाएगा
'क़ुत्ब'-ए-दीँ हसरत ईं दारम व बस
कि चसाँ शुक्र गुज़ारम इमशब
कुतुबुद्दीन मुझे सिर्फ़ यही हसरत है
कि आज मैं इज़हार-ए-तशक्कुर कैसे करूँ
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