मनम गदा व तूई बादशाह-ए-बन्द:-नवाज़
तू कार-ए-बन्द:-ए-आ'सी ब-लुत्फ़-ए-ख़्वेश ब-साज़
मैं गदा हूँ और तू बंदा-नवाज़ बादशाह है
तू इस गुनहगार बंदे का काम अपने लुत्फ़-ए-ख़ास से बना
नशिस्तः बर-सर-ए-कूयत मुदाम मुन्तज़िरम
बदाँ उम्मीद कि चश्मम शवद ब-रुयत बाज़
मैं तुम्हारे कूचा में ये आस लगाए बैठा हूँ
कि तू हमारी तरफ़ नज़र उठा कर देखेगा
मकुन हवालः तू क़त्ल-ए-मरा ब-तेग़-ए-अजल
नुमाई परतवे अज़ ख़ुद कि जाँ कुनद पर्वाज़
तू मुझे मौत की तलवार के हवाले मत कर
तू अपना जल्वा दिखा ताकि रूह परवाज़ कर जाए
ख़ुश अस्त बर दर-ए-मा'शूक़ गिर्या-ओ-ज़ारी
चरा कि दर नकुशायद ज़े-रोज़:-ओ-नमाज़
मा’शूक़ के दर पर गिर्ये-ओ-ज़ारी बेहतर है
अगर रोज़ा नमाज़ से दरवाज़ा नहीं खुलता है तो ना खुले
हज़ार शुक्र कि शुद 'क़ुत्ब'-ए-दीँ ब-दरगह-ए-तू
ब-दौलत-ए-ग़म-ए-इश्क़ अज़ जहानियाँ मुम्ताज़
कुतुबुद्दीन तेरे आस्ताने से वाबस्ता हुआ हज़ार शुक्रिया
इश्क़ का ग़म पा कर वो दुनिया वाले से मुमताज़ हो गया है
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