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Sufinama

मालिक-उल-मुल्क ला शरीक लहू

रूमी

मालिक-उल-मुल्क ला शरीक लहू

रूमी

मालिक-उल-मुल्क ला शरीक लहू

वहदहू ला-इलाहा इल्ला हु

वह संसार का बादशाह है, उसका कोई साझीदार नहीं है,

वह एकाकी है, कोई उसके समान नहीं है।

आ'शिक़ाँ जान-ओ-दिल निसार कुनंद

बर सर-ए-ला-इलाहा इल्ला हु

’आशिक़ जान और दिल को निसार करते हैं,

ला-इलाहा-इलल्लाह के ऊपर।

मुस्तफ़ा याफ़्त दर शब-ए-मे'राज

ख़िलअ'त-ए-ला-इलाहा इल्ला हु

मुहम्मद मुस्तफ़ा को मे’राज की रात

ला-इलाहा-इलल्लाह का वस्त्र मिला

बाग़बानान-ए-क़दीम-ए-लम-यज़ली

सिफ़तश ला-इलाहा इल्ला हु

पुराने अनश्वर बाग़बानों की विशेषताएँ

ला-इलाहा-इलल्लाह बयान की गई हैं

ख़ुश दरख़़्ते अस्त दरमियान-ए-जिनाँ

मेव:अश ला-इलाहा इल्ला हु

स्वर्ग में एक अद्भुत दरख़्त है,

जिसका फल ला-इलाहा-इलल्लाह है।

सूफि़याँ गर बहिश्त मी तलबन्द

ज़िक्र-ए-शाँ ला-इलाहा इल्ला हु

सूफ़ी लोग ईश्वर से स्वर्ग इसलिए मांगते हैं

कि वो ला-इलाहा-इलल्लाह का सुमरन करते है

मोमिनाँ रा नई'म शुद रोज़े

बरकतश ला-इलाहा इल्ला हु

मोमिनों को एक दिन

ला-इलाहा-इलल्लाह की अनंत बरकत प्राप्त होगी

'शम्स' तबरेज़ अगर ख़ुदा तलबी

ख़ुश बख़्वाँ ला-इलाहा इल्ला हु

शम्स तबरेज़ी, यदि तुम ख़ुदा के खोजी हो,

तो मधुर स्वर में ला-इलाहा इल्लल्लाह का पाठ करो।

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