रूबाईयात
रबाईआत रुबाई की जमा है, ये अरबी का लफ़्ज़ है जिसके मअनी चार के हैं। शायराना मज़मून में रुबाई इस सिन्फ़ का नाम है जिसमें चार मिसरों में एक मुकम्मल मज़मून अदा किया जाता है। रुबाई के 24 ओज़ान हैं, पहले दूसरे और चौथे मिसरे में क़ाफ़िया लाना ज़रूरी है।
बर्र-ए-सग़ीर के मशहूर सूफ़ी और मक्तूबात-ए-सदी-ओ-दो सदी के मुसन्निफ़
हज़रत शाह अकबर दानापुरी के साहिब-ज़ादे और ख़ानक़ाह-ए-सज्जादिया अबुल-उ’लाइया, दानापुर के बा-कमाल सज्जादा-नशीन
मशहूर रुबाई-गो शाइ’र और शहीद-ए-इ’श्क़ जिन्हें अ’ह्द-ए-औरंगज़ेब में शहीद कर दिया गया था