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सोरठा
अखरावती - सतगुरु खोजो संत जीव काज जेहि होय जो
सतगुरु खोजो संत जीव काज जेहि होय जोमेटैं भव का अंत आवागवन निवारहीं
कबीर
अरिल्ल
राम नाम की लूट फबी है जीव कूँ
राम नाम की लूट फबी है जीव कूँनिस बासुरि 'बाजीद' सुमर ताहि पीव कूँ
वाजिद जी दादूपंथी
सोरठा
अखरावती - करै बिचार बिबेक कहूँ जीव निस्तार जेहि
अखरावती - करै बिचार बिबेक कहूँ जीव निस्तार जेहिसत्तनाम की टेक और सकल धन धाम है
कबीर
दोहा
दूध मध्य ज्यों घीव है मेहंदी माहीं रंग
दूध मध्य ज्यों घीव है मेहंदी माहीं रंगजतन बिना निकसै नहीं 'चरनदास' सो ढंग
चरनदास जी
पद
जीव महल में सिव पहुनवाँ कहाँ करत उनमाद रे
जीव महल में सिव पहुनवाँ कहाँ करत उनमाद रेपहुँचा देवा करिलै सेवा रैन चली आवत रे
कबीर
पद
ब्रजभाव के पद - लाला लेता जैयो रे बीड़ी पान की
लाला लेता जैयो रे बीड़ी पान कीकत्था चूना लौंग सुपारी बीड़ी बनी अनुमान की
मीराबाई
होरी
होरी होय रही अहमद जियो के द्वार
होरी होय रही अहमद जियो के द्वारनबी अली को रंग बनो है हसन हुसैन खिलार
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
दोहा
पी पीयूष जीव जुगति सौं तजि अयुक्त अज्ञान
पी पीयूष जीव जुगति सौं तजि अयुक्त अज्ञानअखंड धार ज्यूँ तैल की सो अमृत परमान
स्वामी भगवानदास जी
गूजरी सूफ़ी काव्य
'बाजन' जीव अमर अहे मुआ न कहियो कुए
'बाजन' जीव अमर अहे मुआ न कहियो कुएजो ऐ कोई मुआ कहे मुआ एही होए
शैख़ बहाउद्दीन बाजन
दोहा
साध का अंग - जगत सनेही जीव है राम सनेही साध
जगत सनेही जीव है राम सनेही साधतन मन धन तजि हरि भजैं जिनका मता अगाध
दया बाई
गूजरी सूफ़ी काव्य
रे भाइयो हूँ सूँ करूँ
ये जीव तो रहता नहीं होर मन दुख सहता नहींको जाए पिउ कहता नहीं रे भाइयो हूँ सूँ करूँ