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काफी
दिल-दर्दों हुन हारी वो यार
ख़िलअ'त शहर ख़्वारी वो यारसिक महींवाल दी लहर लुड़ायम
ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद
राग आधारित पद
राग सोरठा - अँखियाँ गुरू दरसन की प्यासी
भीतर बाहर संग सहेली बातन ही समझावैं'चरनदास' सुकदेव पियारे नैनन ना दरसावैं
चरनदास जी
अष्टपदी
गुरू बिन और न जान मान मेरो कहो
समरथ श्री सुकदेव कहा महिमा करौंअस्तुति कही न जाय सीस चरनन धरौं
चरनदास जी
अष्टपदी
गुरू को तजि हरि सेब कभी नहिं कीजिये
मो को श्री सुकदेव यही समझाइयाबेद पुरानन माहिं जो यों हीं गाइया
चरनदास जी
राग आधारित पद
राग बिहागरा - सुधि बुधि सब गइ खोय री मैं इस्क दिवानी
बिन मनमोहन भवन अँधेरी भरि भरि आवै छाती'चरनदास' सुकदेव मिलावो नैन भये मोहिं घाती
चरनदास जी
दोहा
उपदेश गुरू भक्ति का - माता सूँ हरि सौ गुना जिन से सौ गुरुदेव
माता सूँ हरि सौ गुना जिन से सौ गुरूदेवप्यार करैं औगुन हरैं 'चरनदास' सुकदेव
चरनदास जी
सलोक
फ़रीद कडै अह हिकड़ा अते हुन भी थीसी हिक
फ़रीद कडै अह हिकड़ा अते हुन भी थीसी हिकयो पई टन्नां न करे तेही लायउस सिक
बाबा फ़रीद
सलोक
फ़रीद कडै अह केहड़ा अतै हुन भी थीसी हिक
फ़रीद कडै अह केहड़ा अतै हुन भी थीसी हिकतेही लायअमु सिक ओ पई टन्ना ना करे