आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "अचरज"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "अचरज"
शबद
बंसी अचरज कान्ह बजाई ।
बंसी अचरज कान्ह बजाई ।बंसी वालया चाका रांझा, तेरा सुर सभ नाल है सांझा ।
बुल्ले शाह
सोरठा
बुन्द समुद्र समान, यह अचरज कासो कहों।
बुन्द समुद्र समान, यह अचरज कासो कहों।हैरन हार हेरान, 'अहमद' आपी आप में।।
अहमद
पद
लोगों की भूल - सखी री मेरे बिच अचरज होय
सखी री मेरे बिच अचरज होय अचरच अचरज अचरज होयसाँचा मारग सुरत शब्द का सो नहिं माने कोय
शालीग्राम
अन्य परिणाम "अचरज"
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-दीया की बत्ती(53) एक नार ने अचरज किया। सांप मार पिंजरे में दिया।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-दीया की बत्ती (53) एक नार न अचरज किया। सांप मार पिंजरे मैं दिया।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
पद
चेतावनी -घट भीतर तू जाग री, है सुरत पुरानी ।
श्याम कंज के घाट से, सुरत अलगानी।चौथे पद में जा मिलीं, जहां अचरज बानी।।
शिवदयाल सिंह
कुंडलिया
देखो पथिक उघारि कै, नीके नैन बिबेक।
देखो पथिक उघारि कै, नीके नैन बिबेक।अचरज है बाग में, राजत है तरु एक।।
दीनदयाल गिरि
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
(2) यह अवसर दुर्लभ मिलै, अचरज मनुषा देह। लाभ वही सहजो कहै, हरि सुमिरन करि लेहु।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
ये छब देख अचरज भयो छुरी कुंद हो जाय17۔ उम्मीद हस्त कि बे-गानगी-ए-उ’र्फ़ी रा