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सूफ़ी उद्धरण
इंसान में अस्ल चीज़ दिल है और जब उस दिल की इस्लाह हो जाती है, तो इंसान की हर चीज़ की इस्लाह होने लगती है।
बहाउद्दीन ज़करिया मुल्तानी
सूफ़ी उद्धरण
हम उस इंसान पर एतबार नहीं करते, जो तरीक़त तो चाहता है लेकिन दुनिया के कामों से भागता है। पहले इंसान दुनियावी कामों में पूरी तरह चुस्त और समझदार हो, फिर वह तरीक़त में आए, तभी हम उसे असली इंसान मानते हैं।
शाह अब्दुल हई जहाँगीरी
सूफ़ी उद्धरण
इश्क़ से इंसान को हमेशा रहने वाली ज़िंदगी मिलती है।
इश्क़ से इंसान को हमेशा रहने वाली ज़िंदगी मिलती है।
ग़ौस अली शाह
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इंसान
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सूफ़ी उद्धरण
इंसान पर ख़ुदा की ज़ात का साया है और काबे पर ख़ुदा की सिफ़ात का।
इंसान पर ख़ुदा की ज़ात का साया है और काबे पर ख़ुदा की सिफ़ात का।
शैख़ बदीउद्दीन मदार
सूफ़ी उद्धरण
जब कोई सच्चा इंसान मरता है, तो दुनिया ज्ञान के एक बड़े हिस्से से महरूम हो जाती है।
जब कोई सच्चा इंसान मरता है, तो दुनिया ज्ञान के एक बड़े हिस्से से महरूम हो जाती है।
नूर मोहम्मद माहरवी
सूफ़ी उद्धरण
रिवाज और किताबों से सीखा हुअ कुछ नहीं, असली चीज़ तो अच्छा किरदार है, उसी से इंसान को नजात मिलती है।
रिवाज और किताबों से सीखा हुअ कुछ नहीं, असली चीज़ तो अच्छा किरदार है, उसी से इंसान को नजात मिलती है।
बाबा फ़रीद
सूफ़ी उद्धरण
इंसान दो दुनियाओं का मेल है, एक है "आलम-ए-ख़ल्क़" जिस से उसका बाहरी रूप जुड़ा है और दूसरा है "आलम-ए-अम्र" जिस से उस की रूह जुड़ी है।
शैख़ अहमद सरहिन्दी
शे'र
अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इंसान के बस का काम नहींफ़ैज़ान-ए-मोहब्बत आम सही इरफ़ान-ए-मोहब्बत आम नहीं
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इंसान के बस का काम नहींफ़ैज़ान-ए-मोहब्बत आम सही इरफ़ान-ए-मोहब्बत आम नहीं
जिगर मुरादाबादी
कलाम
दिमाग़-ओ-रूह यकसाँ चाहिएँ इंसान-ए-कामिल मेंये क्या तक़्सीम-ए-नाक़िस है ख़ुदी सर में ख़ुदा दिल में
सीमाब अकबराबादी
कलाम
इब्तिदा में हज़रत-ए-इंसान क्या था क्या हुआग़ौर कर ख़ुद को ज़रा पहचान क्या था क्या हुआ