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दोहा
परि कटारी विरह की टूट रही उर साल
परि कटारी विरह की टूट रही उर सालमूएँ पीछैं जो मिलौ जीयत मिलौ 'जमाल'
जमाल
सूफ़ी लेख
कबीर के कुछ अप्रकाशित पद ओमप्रकाश सक्सेना
(8)प्रेम कटारी जेहे ने प्रेम की रे यागी,
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
– ईंट(51) बांसबरेली से एक नारी। आई अपने बंद कटारी।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-ईंट (51) बांसबरेली से एक नारी। आई अपने बंद कटारी।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
कुंडलिया
कहते केवल राम ही, लडै भेष बहु भाइ।।
झूठ मोरछै आइ, ढ़ाल तरवार संजोई।।छुरी कटारी साज सूज, चरचा बहु होई।।
स्वामी आत्माराम जी
पद
सद्गुरू-महिमा के पद - लागन रा बोपार प्यारी करलों गराँ संग यारी
प्रेम कटारी म्हारे अंगड़ा में बींदी बालानिकली कलेजा पार प्यारी प्यारी हो कटारी
मीराबाई
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
चितवति तिरछे दृगनु मनौ हिय हनति कटारी।। कह पठान सुलतान छक्यौ यह देखि तमास।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
कवित्त
नेत्र वर्णन- रूप रस सारहि सुधा रसोधि साधन के
घायल करि डारी ब्रजनारी वैस वारी सारीअखिया विहारी जू की काम की कटारी है।।
करीम
राग आधारित पद
जंगला तिताना- बटोहियां हमरा जियरा तू कहॉ लेके जइयोरे।
हमसे तुमसे लगन लगी है कहा करेगो कोइ योरे।छूरी कटारी सो मारके गला काट मरजैइयोरे।।
क़ाज़िम वा क़ायम
गीत
ये रैन अँधेरी पी-पी बाहर सुख सूनी सजरिया हो क्योँ करबादल की कड़क से कांपत हूँ और बूँद कटारी लागत है
मुमताज़ गंगोही
भजन
छाँडो छाँडो जी बय्याँ हमारी रे
कौन तिरछी निगाह से मारा हमेंदिल में लाग गई कटारी रे