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ना'त-ओ-मनक़बत
लिए फ़लक ने कड़े इम्तिहाँ ग़रीब-नवाज़हूँ आज इस लिए महव-ए-फ़ुग़ाँ ग़रीब-नवाज़
पीर नसीरुद्दीन नसीर
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सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
बोल न बाँचा=बीच के कोठे में जाने का कोई दाँव नहीं बचा।(5) पाकि गहे पै आसा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
भला इस जुलूस को देखो और पंखे को देखो। बाँस की खिंचियों का बड़ा सा पंखा