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सूफ़ी शब्दावली
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
दोहा:उ’र्फ़ी बिरह के कष्ट से रोय धोय का होय
ज़माना
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पद
मुक्ति-स्वरूप - मुक्ति तौं धोषै की नीसाना।
गोदंडा ज्यों मारग चालै, आगे षोज बिलाये।।जीवत कष्ट करै बहुतेरे, मुये मुक्ति कहैं जाई।
सुंदरदास छोटे
सूफ़ी लेख
कबीर के कुछ अप्रकाशित पद ओमप्रकाश सक्सेना
निकसी बाकी पकर मुकवम सबही होय गये न्यारे रुक गये कंठ शब्द नहिं उचरत, परे कष्ट अति भारे।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी कहावत
कौन सा दरख़्त है, जिसे हवा नहीं लगी
कौन सा दरख़्त है, जिसे हवा नहीं लगीथोड़े बहुत कष्ट सभी को भोगने पड़ते हैं
वाचिक परंपरा
पद
संतो सहज समाधि भली
आँख न मूँदूँ कान न रूँधूँ काया कष्ट न धारूँखुले नैन मैं हँस-हँस देखूँ सुंदर रूप निहारूँ