आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "खोल"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "खोल"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "खोल"
ग़ज़ल
ऐ दोस्तो चश्म को खोल ज़रा देखो कैसा है माह-ए-लक़ाबे-शक है मोहम्मद नूर-ए-ख़ुदा शुबहा न कर इस में असला
मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी
ग़ज़ल
मुझ पर ऐ महरम-ए-जाँ पर्दा-ए-असरार कूँ खोलख़्वाब-ए-ग़फ़लत सें उठा दीदा-ए-बेदार कूँ खोल
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
घटा उठी है तू भी खोल ज़ुल्फ़-ए-’अम्बरीं साक़ीतिरे होते फ़लक से क्यूँ हो शर्मिंदा ज़मीं साक़ी
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
शे'र
अब्दुल हादी काविश
सूफ़ी उद्धरण
जो शख़्स सब की भलाई मांगता है, अल्लाह उसका भला करता है, जिन लोगों ने मेहमानों के लिए लंगर-ख़ाने खोल दिए हैं कभी मुहताज नहीं हुए
वासिफ़ अली वासिफ़
दोहा
कान खोल 'औघट' सुनो पिया मिलन की लाग
कान खोल 'औघट' सुनो पिया मिलन की लागतन तम्बूरः साँस के तारों बाजे हर का राग
औघट शाह वारसी
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
चातुर मरद जो हाथ लगावे। खोल सतर वह आप दिखावे।।-पुस्तक
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
चातुर मरद जो हाथ लगावे। खोल सतर वह आप दिखावे।। -पुस्तक