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ना'त-ओ-मनक़बत
बे-मदद-गार मनम हज़रत-ए-हैदर मददेदस्त-ए-क़ुदरत मददे फ़ातिह-ए-ख़ैबर मददे
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
दकनी सूफ़ी काव्य
क़िस्सा परहेज़-गार-ओ-शैतान
कहूँ एक नसीहत अजब ख़ूब-तरपहले पंद सुनो जीव की कान धर
अली रहमती
समस्त
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सूफ़ी लेख
हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
मा’शूक़ हमीं जास्त ब-याएद ब-बाएदआनाँ कि तलब-गार-ए-ख़ुदाएद ख़ुदाएद
सूफ़ीनामा आर्काइव
सलोक
अज्ञान- अन्धा अन्धेरी, दिसनि मति मशाल रे।
अन्धा अन्धेरी, दिसनि मति मशाल रे।गर्भ जूणि जे गार में, पाइनि नितु फेरी।
सामी
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
18۔ हर कस कि हाय-ओ-हू न कशीद अहल-ए-रोज़-गारगोश-ए-रज़ा ब-गुफ़्त शुनीदश नमी-कुनंद