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साखी
अनुभूति एवं चेतावनी- स्वारथि साथी जगत सब, बिन स्वारथ नहिं कोइ।
स्वारथि साथी जगत सब, बिन स्वारथ नहिं कोइ।बाजीदा बिन स्वार्थी, अपलट अबिहर सोइ।।
वाजिद जी दादूपंथी
दोहा
रहिमन जगत बड़ाइ की कूकुर की पहिचानि
रहिमन जगत बड़ाइ की कूकुर की पहिचानिप्रीति करै मुख चाटई बैर करे तन हानि
रहीम
पद
ककहरा - बब्बा बड़ा जगत जंजाल जाल जम फाँसी डारी
बब्बा बड़ा जगत जंजाल जाल जम फाँसी डारीज्यों धीमर जल माहिँ पकर करि मछरी मारी
तुलसी साहिब हाथरस वाले
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साखी
जब मन देषै जगत कौं, जगत रूप ह्वै जाइ।
जब मन देषै जगत कौं, जगत रूप ह्वै जाइ।सुन्दर देषैं ब्रह्मकौं, तन मन ब्रह्म अबाइ।।
सुंदरदास छोटे
छंद
जगत विदित बूंदी नगर, सुख सम्पति को धाम
जगत विदित बूंदी नगर, सुख सम्पति को धाम।कलिजुगहू मै सत्यजुग, तहां करत विश्राम।।
मतिराम
साखी
मोटे बन्धन जगत के, गुरु भक्ति से काट।
मोटे बन्धन जगत के, गुरु भक्ति से काट।झीने बन्धन चित्त के, कटें नाम परताप।।
शिवदयाल सिंह
सलोक
एक भूतं परं ब्रह्म जगत सर्व सचराचरं।
'एक भूतं' 'परं ब्रह्म' 'जगत सर्व' सचराचरं।नाना भावे मनुजस्य 'तस्य मोक्षा न गच्छते'।।
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
साखी
जहं लगि आये जगत महं, नाम चीन्ह नहिं कोय।
जहं लगि आये जगत महं, नाम चीन्ह नहिं कोय।नाम चिन्हे तौ पार ह्वै, संत कहावत सोय।।
शिवनारायण
दोहा
गुन चाहत औगुन सजत, जगत बिदित ये अंक।
गुन चाहत औगुन तजत, जगत बिदित ये अङ्क।ज्यों पूरन ससि देखि के, सब कोऊ कहत कलंक।।
अहमद
छप्पय
गणपति-स्तुति- सब गन को सरदार जगत अति तोको माने।
सब गन को सरदार जगत अति तोको माने।होत जहॉ उत्साह आदि सब सरस बखाने।।
ताज जी
कुंडलिया
पैहौ कीरति जगत में, पीछे घरो न पांव।
पैहौ कीरति जगत में, पीछे घरो न पांव।छत्री कुल के तिलक हे, महा समर या ठांव।।
दीनदयाल गिरि
साखी
चेतावनी का अंग- नंगा आया जगत में नंगा ही तू जाय ।
नंगा आया जगत में नंगा ही तू जाय ।बिच कर ख्वाबी ख्याल है मन माया भरमाय ।।
गरीब दास
कवित्त
कहूं न कबहूं चैन जगत दुखकूप है।
कहूं न कबहूं चैन जगत दुखकूप है।हरि भक्तन को संग सदा सुखरूप है।।
नागरीदास और बनीठनीजी
दोहा
जीवेश्वर द्वै जगत मंहि, प्रगट कहैं सब कोई।।
जीवेश्वर द्वै जगत मंहि, प्रगट कहैं सब कोई।।वाह्य दिष्टि विवेक बिन, अन्तर्दिष्टि न होई।।