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राग आधारित पद
राग बसंत- जल थल म्हेल और आकास।
जल थल 'म्हेल' और आकास।पिय सरब निरंतर तोरा 'पास'।।
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
दोहा
जल थल महियल सोधि सब, अब सु रहयौ इहि ठांऊँ।
जल थल महियल सोधि सब, अब सु रहयौ इहि ठांऊँ।मोहि समरपै जो कोऊँ, साधनि मुखि ह्वै खांऊँ।।
वाजिद जी दादूपंथी
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राग आधारित पद
रागिनी मुल्तानी धनाश्री चौताल - पाक मोहम्मद अल्ला रसूल तेरौ ही नूर जहूर
अव्वल आखिर तुही निकट तुही दूरजित देखूँ तित तुही तुही व्यापि रह्यौ जल-थल
तानसेन
काफी
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
जल थल आहींं मारदियां दिल पत्थर मेरामैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
बुल्ले शाह
ना'त-ओ-मनक़बत
जहल की बंजर ज़मीं को जिस ने जल-थल कर दिया'इल्म की ऐसी घटा बग़दाद की सरकार है
पीर नसीरुद्दीन नसीर
शबद
अलखदास आखै सुन लोई दुई दुई मत कहो भाई कोई
अलख-दास आखै सुन लोई दुई दुई मत कहो भाई कोईजल थल म्हेल सरब निरंतर गोरखनाथ अकेला सोई
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
ना'त-ओ-मनक़बत
जिन को सू-ए-आसमाँ फैला के जल-थल भर दिएसदक़ा उन हाथों का प्यारे हम को भी दरकार है
अहमद रज़ा ख़ान
कश्मीरी संत काव्य
ज़ल हा मालि लूसुय न पकान-पकान,
ज़ल हा मालि लूसुय न पकान-पकान,सिरयि लूसुय न वोलगान सुमीर ।
लल दद्द
छंद त्रिपदी
नव कुंकुम जल बरसत जहाँ। उड़त कपूर-धूरि जहँ तहाँ।
नव कुंकुम जल बरसत जहाँ। उड़त कपूर-धूरि जहँ तहाँ।और फूल-फल को गनै।।