आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "जिगर-बंद-ए-सल्तनत"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "जिगर-बंद-ए-सल्तनत"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "जिगर-बंद-ए-सल्तनत"
ना'त-ओ-मनक़बत
बरगुज़ीदा बंद-ए-रहमाँ 'अली का लाडलालख़्त-ए-क़ल्ब-ए-साहिब-ए-क़ुरआँ 'अली का लाडला
सद्दाम हुसैन नाज़ाँ
ग़ज़ल
ग़म-ए-जिगर-शिकन-ओ-दर्द-ए-जाँ-सिताँ देखातुम्हारे इ'श्क़ में क्या क्या न मेहरबाँ देखा
मीर मोहम्मद बेदार
कलाम
दिल जिगर को आश्ना-ए-दर्द-ए-उल्फ़त कर दियाइक निगाह-ए-नाज़ ने सामान-ए-राहत कर दिया
अब्दुल हादी काविश
ना'त-ओ-मनक़बत
बंद ’इस्याँ में पड़ा या शाह-ए-शाहाँ अल-ग़ियासकिस तरह हम हों रिहा या शाह-ए-शाहाँ अल-ग़ियास
अफ़ज़ल हुसैन अस्दक़ी
फ़ारसी कलाम
अगर ख़्वानी दरूनम बंद:-ए-ईं-ख़ानदाँ बाशमदिगर रानी बरूनम चूँ सगाँ बर आस्ताँ बाशम
नूरुद्दीन हिलाली
शे'र
नहीं लख़्त-ए-जिगर ये चश्म में फिरते कि मर्दुम नेचराग़ अब करके रौशन छोड़े हैं दो-चार पानी में
शाह नसीर
ना'त-ओ-मनक़बत
आज ज़ोरों पे है ये दर्द-ए-जिगर क्या बाइ'सली न सरकार-ए-दो-’आलम ने ख़बर क्या बाइ'स