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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
कहे कबीर जुलाहा।तू ब्राह्मन मैं कासी का जुलाहा।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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सूफ़ी लेख
कर्नाटक के संत बसवेश्वर, श्री मे. राजेश्वरय्या
बसव ने वृत्ति को न जाति-सूचक ठहराया और न किसी की उच्चता या नीचता का धोतक।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
पदमावत में अर्थ की दृष्टि से विचारणीय कुछ स्थल - डॉ. माता प्रसाद गुप्त
ओरगाना का अर्थ डॉ. अग्रवाल ने अधिपति किया है। ओरग<ओलग्ग<अब-लागू, सेवा करना, चाकरी करना है। (पाइअ