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पद
नाम-माहात्म्य के पद - नामों की बलिहारी गज गणिका तारी
नामों की बलिहारी गज गणिका तारीगणिका तारी अजामील उद्धारी तारी गौतम की नारी
मीराबाई
पद
ज्ञान मदमाते जे नर निश दिना तिनको कबहूँ न होत खुमारी।।
जाकों लागि रहत जिब तारी।।मनक रसायन तन करो भाटी पांचो आत्मा अग्नि जारीं।।
हरिदास
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
अंक माल ले बीठल मिले।।(2) अजामिल गज गनिका तारी काटी कुंजर की पास रे।
भारतीय साहित्य पत्रिका
पद
भजु मन नन्द-नन्दन गिरिधारी ।
मीरा करमा कुबरी, सबरी , तारी गौतम नारी ।।वेद पुरानन मे जस गायो, ध्याये होवत प्यारी ।
प्रताप बाला
पद
प्रातसमय रघुवीर जगावे कौसल्या महरानी ।
बंदीजन गंधर्व गुण गावे नाचे थै थै तारी ।।शैलसुता शिवद्वारे ठाड़े, होत कोलाहल भारी ।।उठो।।
माधव महाराज
सूफ़ी लेख
आज रंग है !
प्रेम लसित पिचुकारी छूटत तारी दै दै बोलैतत्त बीर उड़त नभ छायो ज्ञानहीन मति तौलै
सुमन मिश्र
शबद
ब्रह्म रूप अति झीना, रे मानवा ।
त्रिकुटी कमल का आसन लगाये, सो योगी परवीणा ।उन्मुन तारी लगे शिखर मे आतम रस तिन पीना ।
स्वामी आत्मप्रकाश
चौपाई
इक गोपाल संग मम जाई । बस्यो नृपति ह्वै सोइ पुर छाई ।।
कोउ नाचत है दै कर तारी । बहुविधि करत कुलाहल भारी ।।एक एकन ते देत बधाई । मानहुँ सबन गई निधि पाई ।।
रत्नकुंवरि बाई
राग आधारित पद
साधु आया मेरे द्वार, में तन मन वारि करो मनवारि - राग गौड
वाँ साधां की बलिहारि रे ?, वाँ केती आतम तारी रे।।वे साधु मेरा भाई रे, वाँ तन की तपत बुझाइ रे।।
महाराज अमरपुरुष जी
ना'त-ओ-मनक़बत
अदल के मीज़ान का पलड़ा है भारी होगयाख़ाइनों के अदलिया में ख़ौफ़ तारी होगया