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ग़ज़ल
फ़स्ल-ए-गुल का ग़म दिल-ए-नाशाद पर बाक़ी रहाहश्र लग ये मुज़लिमा सय्याद पर बाक़ी रहा
सिराज औरंगाबादी
कलाम
अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहींमस्लक-ए-अहल-ए-वफ़ा ज़ब्त है फ़रियाद नहीं
सीमाब अकबराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
है शम्-ए'-तजल्ली रुख़-ए-दिल जु-ए-मोहम्मदपरवाना-सिफ़त खिंचते हैं दिल सू-ए-मोहम्मद
अख़तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
ख़ार-ए-हसरत दिल में लेकर उट्ठे बज़्म-ए-यार सेये वो कांटे हैं जिन्हें लाए हैं हम गुलज़ार से
शम्शाद लखनवी
ना'त-ओ-मनक़बत
है दिल में जल्वा-ए-रुख़-ए-ताबान-ए-मुस्तफ़ाक़िंदील-ए-का'बा है तह-ए-दामान-ए-मुस्तफ़ा
शकील बदायूँनी
ग़ज़ल
मेरे दिल में क्यूँ ख़याल-ए-कूचा-ए-दिल-बर न होबुलबुल-ए-आवारा को याद-ए-चमन क्यूँ-कर न हो
रज़ा फ़िरंगी महल्ली
ना'त-ओ-मनक़बत
दिल-रुबा है किस क़दर शान-ए-जमाल-ए-ग़ौस-ए-पाकहै जहाँ शैदा-ए-हुस्न-ए-बे-मिसाल-ए-ग़ौस-ए-पाक