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कलाम
दिया होता किसी को दिल तो होती क़द्र भी दिल कीहक़ीक़त पोछिए जा कर किसी बिस्मिल से बिस्मिल की
अज्ञात
क़िता'
अफ़सर नारवी
दोहरा
मैनूं ख़बर नहीं दिल मेरा
मैनूं ख़बर नहीं दिल मेरा, किस जाग्हा विच वसदा ?अचरज देख, इशक नूं यारो ! भला कौन कोई जा दस्सदा ।
हाशिम शाह
दोहरा
किस किस तरफ़ नहीं दिल फिरदा
किस किस तरफ़ नहीं दिल फिरदा, अते की कुझ ज़ोर न लावे ।पल विच लाख करोड़ दलीलां, इक ढाहवे होर ल्यावे ।
हाशिम शाह
ग़ज़ल
मेरे दिल में क्यूँ ख़याल-ए-कूचा-ए-दिल-बर न होबुलबुल-ए-आवारा को याद-ए-चमन क्यूँ-कर न हो