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शबद
नींद लड़ी नहिं आवै सारी रात किस बिध होई प्रभात
नींद लड़ी नहिं आवै सारी रात किस बिध होई प्रभातनींद लड़ी नहिं आवै सारी रात किस बिध होई प्रभात
मीराबाई
पद
विरह के पद - साँवरा बिन नींद न आवे आवे री मेरो जीवड़ो अकुलावे
साँवरा बिन नींद न आवे आवे री मेरो जीवड़ो अकुलावेश्याम बिना मेरे जग में अँधेरो दीपक दाय न आवे
मीराबाई
ना'त-ओ-मनक़बत
तोरी दरसन मां ख़्वाजा भोर भई मोरा चैन गया मोरी नींद गईतनू न खबरावा मोर लई मोरा चैन गया मोरी नींद गई
मोहम्मद ख़ान निशात
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कलाम
क़िस्मत जागे तो हम सोएँ क़िस्मत सोए तो हम जागेंदोनों ही को नींद आए जिस में कब ऐसी रातें होती हैं
आरज़ू लखनवी
शे'र
जिसे कहते हैं मौत इक बे-ख़ुदी की नींद है 'शाएक़'परेशानी है जिस का नाम वो है ज़िंदगी अपनी
पंडित शाएक़ वारसी
ग़ज़ल
नींद को भी नींद आ जाती है हिज्र-ए-यार मेंछोड़ कर बे-ख़्वाब मुझ को आप सो जाती है नींद
ख़वाजा वज़ीर लखनवी
साखी
सेवक और दास का अंग अनराते सुख सोवना राते नींद न आय
अनराते सुख सोवना, राते नींद न आयज्यों जल टूटे माछरी तलफत रैन बिहाय
कबीर
कलाम
रातीं रत्ती नींद न आवे दिहाँ रहे हैरानी हूआरिफ़ दी गल आरिफ़ जाणे क्या जाणे अफ़्सानी हू