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कविता
नैन-वर्णन- अति है रसीले नैन कढ़ी तलवार जैसे
अति है रसीले नैन कढ़ी तलवार जैसे,छूटत कमान वान मारे दिन रैन हैं।
इश्कदीन
दोहा
रहिमन जग जीवन बड़े काहु न देखे नैन
रहिमन जग जीवन बड़े काहु न देखे नैनजाय दशानन अछत ही कपि लागे गथ लेन
रहीम
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शे'र
तेरे नैन-ए-पुर-ख़ुमार कूँ सरमस्त-ए-बादा-नाज़या बे-ख़ुदी का जाम या सहर-ए-बला कहूँ
क़ादिर बख़्श बेदिल
दोहा
जिहि मग दौरत निरदई, तेरे नैन कजाक।
जिहि मग दौरत निरदई, तेरे नैन कजाक।तिहि मग फिरत सनेहिया, किये गरेबां चाक।।
रसनिधि
कुंडलिया
देखो पथिक उघारि कै, नीके नैन बिबेक।
देखो पथिक उघारि कै, नीके नैन बिबेक।अचरज है बाग में, राजत है तरु एक।।
दीनदयाल गिरि
दोहा
यह बूझन को नैन ये, लग लग कानन जात।
यह बूझन को नैन ये, लग लग कानन जात।काहू के मुख तुम सुनी, पिय आवन की बात।।
रसनिधि
सवैया
प्रेमासक्ति- देखन कौ सखी नैन भए न सबै तन आवत गाइन पाछै।
देखन कौ सखी नैन भए न सबै तन आवत गाइन पाछै।कान भए प्रति रोम नही सुनिबे कौ अमीनिधि बोलनि आछै।।
रसखान
पद
ब्रजराज जी के दरसन को लगे लोभी नैन हमारे
ब्रजराज जी के दरसन को लगे लोभी नैन हमारे ।।ध्रु0।।पकर पूत के कर मो दो कर मो घर राखत, लय छरी डरावत
अमृत राय
कविता
नैन रंगे सब रैन जगे तें लखे मन को ललचावन।
नैन रंगे सब रैन जगे तें लखे मन को ललचावन।मेरी यों रीसि किधौ पिय प्यारे को रूप खरो लगे रीझ रिझावन।
मीरन
दोहरा
मैं वल अक्खियां मूल न भालीं तैंडे नैन मरेंदे काती ।
मैं वल अक्खियां मूल न भालीं तैंडे नैन मरेंदे काती ।हक डेंह भुल भुलेके लायम अते चीर सुट्यो ने छाती ।