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हुसन मुहब्बत सभ ज़ातां थीं उच्ची ज़ात न्यारी
हुसन मुहब्बत सभ ज़ातां थीं उच्ची ज़ात न्यारीना इह आबी ना इह बादी ना ख़ाकी ना नारी
मियां मोहम्मद बख़्श
महाकाव्य
।। रसप्रबोध ।।
जिनते पूरन होत हैं नौ रस गिनती आइ।।1053।।ज्यों थाई सब रसन की न्यारी न्यारी होति।
रसलीन
शबद
साधो रे भाई घर-गृहस्थी दुखदाई ।
पाँचो की मत न्यारी-न्यारी, घट मे कलह मचाई ।पुण्य, पाप दोऊ पोते उपजे, अनन्त वासना नाती ।
स्वामी आत्मप्रकाश
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
जगजिवन दास पास रहै चरनन,कबहूँ करहु न न्यारी।।3।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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राग आधारित पद
टोड़ी, चौताल- हमारी सुरत बिसारी बनवारी हो
'विलास' के प्रभु कौं हौ न पत्याऊँ,जनम छाड़ौं जु रहौं न्यारी।।
विलास ख़ान
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
मन की करनी तन सौं न्यारी। चर्नदास कहै मोहि पियारी।।15।।।। दोहा ।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
कविता
सिंधु यत- इतनी कोई कहो हमारी, मन मोहन ब्रजराज कुँअर सो नारी।
मोहे तो आस तिहारे मिलन की भूल गई सुध सारी।।पिया तरफत हूं न्यारी।।
मौजदीन शाह
कुंडलिया
कछु मुसुकत सतराय कछु, कह्यो कुँवरि सकुचात ।
कहिहैं गोप कुँवारि, गई कब की कित न्यारी ।गेह चलन की वेर, अबै क्यौं करत अबारी ।।
छत्रकुंवरि बाई
पद
चेतावनी -इतना जोग कमाय के साधू, क्या तूने फल पाया।
राम भजन है अच्छा रे, दिल मों रखो सच्चा रे।।ध्रुव।।जोग जुगत की गत है न्यारी, जोग जहर का प्याला।
कमाल
राग आधारित पद
मनमोहन मोरे मन मां बसत हैं ढूँढ फिरि जग सारा री
श्याम सुंदर की छब से न्यारी कैसा बना मतवारी
मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी
राग आधारित पद
राग बिलावल- तुम गुनवन्त मैं अवगुणकारी
तुम स्वाधीन माया सूँ न्यारीमैं अनाथ तुम नाथ-गुसाईं