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गूजरी सूफ़ी काव्य
पुतली नयन फुला पलक बराये-दिगर ख़ुद मस्त है
पुतली नयन फुला पलक बराये-दिगर ख़ुद मस्त हैसियाही सपेदी मस्त-ए-ख़ुद इज़ा में है नासूर मस्त
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
दोहा
अलक लगी है पलक सै पलक लगी भौंनाल
अलक लगी है पलक सै पलक लगी भौंनालचंदन चोकी खोल दै कब के खड़े 'जमाल'
जमाल
पद
आत्मनिवेदन- रमइया मोरि पलक न लागै हो।
रमइया मोरि पलक न लागै हो।दरस तुम्हारै कारणै, निसिबासर जागै हो।।
रामचरन
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दोहा
अलक जु लागी पलक पर पलक रही तिहँ लाल
अलक जु लागी पलक पर पलक रही तिहँ लालप्रेम-कीर के नैन में नींद न परै 'जमाल'
जमाल
कलाम
मा पर न करें हम सोतियाँ फ़रियाद अज़ाँ बेदाद-गरीदिखला के झलक चमका के पलक दिलबर-ओ-जादू-नज़री
अज्ञात
महाकाव्य
।। अंगदर्पण ।।
ज्यौं ज्यौं ऐठाति भौं धनुष त्यों त्यों चढ़ति निदान।।32।।।। पलक-वर्णन ।।
रसलीन
छंद
सीतल सरीर टार, मंजन कै घन सार
देहौं न अलक एक लागन पलक पर,मिलि अभिराम आछी तपन उतारि हौं ।।
प्रवीण राय
कवित्त
वृन्दावन कीरत विनोद कुंज कुंजन में
परसत ही पूतना परम गति पाय गई,पलक ही पार पारयो अजामिल नार की।
कारे ख़ान फ़क़ीर
कुंडलिया
गड़े नगारे कूचकै, छिनभर छाना नाहिं।
पाव पलक के माहिं, समझ ले मनुवां मेरा।धरा रहै धनमाल, होयगा जंगल डेरा।।
दीन दरवेश
ग़ज़ल
नींदर पलक ना लावन दिन्दे, नैन जदोके लाएआतिश भरियां हंझू बरसन, रौशन शम्हा निशानी
मियां मोहम्मद बख़्श
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
नैन पलक चितवन नहीं, पाथर गोल सिडौलमन पंड़ित का क्यूँ भयो बुत पर डाँवा-डोल