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साखी
भ्रमन करत ज्यूं पवन तैं, सूको पीपर पात।
भ्रमन करत ज्यूं पवन तैं, सूको पीपर पात।शेष कर्म प्रारब्ध तै, क्रिया करत दरसात।।
साधु निश्चलदास
कुंडलिया
गगन बृच्छ के बीच में पंछी पवन चुगाय
गगन बृच्छ के बीच में पंछी पवन चुगायपंछी पवन चुगाय जाय सोइ भेद लखावै
तुलसी साहिब हाथरस वाले
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अरिल्ल
अरिल छंद - अष्ट कँवल फूलाय पवन लै धावई
अष्ट कँवल फूलाय पवन लै धावईसोरह कला संपूर तहाँ मन लावई
गुलाल साहब
दोहा
रहिमन ठठरी धुरि की रही पवन ते पूरि
रहिमन ठठरी धुरि की रही पवन ते पूरिगाँठ युक्ति की खुलि गई अंत धूरि को धूरि
रहीम
दोहा
भेद की रहनी - गूदर धागा नाम का सूई पवन चलाय
गूदर धागा नाम का सूई पवन चलायमन मानिक मनि गन लग्यो पहिर 'गुलाल' बनाय
गुलाल साहब
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
जोतिहिं जोति समायो।।1।।तन कियो कुंड पवन कियो घोटना,
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
(1) ऐसा ध्यान घरौं बनबारी। मन पवन दै सुखमन नारी।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
पवन झकोर दीप जोति ज्यों बुझायगी। कालको चक्रर रे चलैगो चहू और
भारतीय साहित्य पत्रिका
होरी
तिल्लाना- ताद्रिम त्रिदिम त्रिदिम त्रिदिम, धम ध्रिकट ध्रिकट धुन धरना ।।
कोइ करतब कर पवन भवन कूँ ।।कोइ कोइ चितवत चमन गमन कूँ ।
तुलसी साहिब हाथरस वाले
पद
ब्रजराज जी के दरसन को लगे लोभी नैन हमारे
पंच तत्व तेजाम्बर धरणी, पवन पाणी चारों बानीचारों देह चतुर्दस लोक,