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सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
दोहा या पोथी कों सुनतही महाराजा राजान।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
पंडित पूजें पोथीखींच ले पर्दा देख लें सूरत
ज़माना
सूफ़ी लेख
गुजरात के सूफ़ी कवियों की हिन्दी-कविता - अम्बाशंकर नागर
जो चले सो चल चल थके।पढ पंडत पोथी धोयां,
भारतीय साहित्य पत्रिका
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सूफ़ी लेख
चतुर्भुजदास की मधुमालती- श्री माताप्रसाद गुप्त
तब घर में बैठे रहैं, जाहिं न हाट बजार। मधुमालति मिरगावति, पोथी दोइ उदार।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
कवित्त
गुन को न पूछै कोऊ औगुन की बात पूछै
पोथी औ पुरान ज्ञान ठट्टन में डारि देतचुगुल चबाइन को मान ठहरानो है।।
क़ादिर बख़्श
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
लिखि पोथी पूरन करी आज़म खाँ के हेत।। धरवौ कछुक क्रम जानि कै नायिकादि-अनुसारि।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
महाकाव्य
।। अंगदर्पण ।।
नाव सप्तसुर सिंधु की बचन मुक्ति की सीप।कै रसना सब रसन की पोथी गिरा समीप।।80।।
रसलीन
बारहमासा
बारहमाहा
मघ्घर मैं कर रहियां सोध के सभ उच्चे नीचे वेख ।पड़्ह पंडत पोथी भाल रहे हरि हरि से रहे अलेख ।
बुल्ले शाह
सूफ़ी लेख
कबीर द्वारा प्रयुक्त कुछ गूढ़ तथा अप्रचलित शब्द पारसनाथ तिवारी
में डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा पृ. 171 पर उद्धृत) शव को जलाते समय उसे समस्त बन्धनों